Aniruddhacharya Ji Ke Pravachan:Jivan Me Dukh Kyo Aate Hai |
Bhagwaan Hame Dukh Kyo Dete Hai: जब भी जीवन में सुख आता है तो भगवान हमें छोड़ कर चले जाते है. भक्त गण कहते है कि ऐसे सुख का क्या करेंगे जिसमे आप ही ना हो.सुख से भला तो दुख होता है जो भगवान के चिंतन का मौका हम सब को देता है.एक प्रसंग में भगवान श्री कृष्ण (Lord Shri Krishna) भी कहते है कि मैं सब कुछ दे सकता हूँ लेकिन किसी को दुख नहीं दे सकता.कई बार लोग प्रश्न करते है कि भगवान दुख क्यों देते हैं ? उनके लिए ये उत्तर है- भगवान किसी को दुख नहीं देते बल्कि हमारे कर्मों का फल हमे दुख के रूप में मिलता हैं.
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Aniruddhacharya Ji Maharaj Ke Pravachan : जब हम बुरा कर्म करते है या किसी के साथ बुरा करते है तो परिणामस्वरूप हमें दुख भोगना पड़ता है. अगर हम कोई अच्छा कर्म करते या किसी का भला करते हैं तो उसका परिणाम हमें सुख के रूप में मिलता हैं. हमारे परिणाम अच्छे-बुरे कर्मों के सुख और दुख के रूप मे परिणित होते हैं.भगवान ना तो किसी को दुख देते है और ना ही दुख में डालते हैं. अभी एक और प्रश्न उठता है कि अगर भगवान की मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता तो क्या चोरी करने वाला चोर क्या वो भी चोरी भगवान की मर्जी से करता है? कुछ गलत कर्म करने वाला व्यक्ति क्या भगवान की मर्जी से गलत काम करता हैं? अगर सब कुछ भगवान की मर्जी से होता है तो संसार में जो दुख व्याप्त है तो क्या ये भी भगवान की मर्जी से है?
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अनिरुद्धाचार्य जी महाराज के प्रवचन: इन सब प्रश्नों को समझने के लिए आपकों एक कहानी समझनी पड़ेगी. एक व्यक्ति है,उसके पास एक बढ़िया गाड़ी (Best Car) है और उसका एक ड्राइवर हैं. मालिक ने अपने ड्राइवर से कहा कि तुम गाड़ी लेकर Railway Station जाओ वहाँ हमारे रिश्तेदार आयें है उनको लेकर आओ.मालिक की इच्छा से गाड़ी चलती है,मालिक (Car Owner) बोलता है गाड़ी लेकर Railway Station जाओ तो ड्राइवर वंही पर जाता है. गाड़ी चलती है तो मालिक की मर्जी से.आज Driver गया Railway Station के लिए रास्ते मे उसका संतुलन बिगड़ा और गाड़ी जाकर गहरी सी खाई में गिर गई. अब आप बताइये कि गाड़ी मालिक कि मर्जी से चलती थी पर अगर आज गाड़ी गड्ढे में गिर गई तो उसका जिम्मेदार कौन है,ड्राइवर या मालिक?
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Aniruddhacharya Ji Maharaj Official Pravachan: पिछले प्रश्न का जवाब ये है कि गाड़ी ले जाने को मालिक ने बोला था लेकिन चलानी तो ड्राइवर के हाथ मेन थी ऐसी स्थिति में गाड़ी का मालिक ज़िम्मेवार ना होकर उसका ड्राइवर ही जिम्मेदार होगा. क्योंकि ड्राइवर के पास ब्रेक भी था,स्टेयरिंग भी थी,गाड़ी चलाने कि समझ भी थी फिर भी संतुलन खो बैठा ड्राइवर ने समय से गाड़ी पर संतुलन क्यों नहीं बनाया. अगर ऐसे में गाड़ी गड्ढे में गिर गई तो उसका ज़िम्मेवार ड्राइवर ही होगा ना कि मालिक.
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Aniruddhacharya Ji Maharaj Ki Katha : ऊपर बताई गई कहानी के अनुरूप ही ये संसार परमात्मा रूपी मालिक का है. ये संसार परमात्मा रूपी मालिक से चल रहा हैं,पर हम सभी ड्राइवर हैं. हमारे पास सोचने समझने और निर्णय लेने की क्षमता है.अगर कोई आपको कह दे कि कुएं में कूद जाओ तो क्या आप कूदेंगे? नहीं,आप नहीं कूदेंगे क्योंकि आपको पता हैं कि कुए में कूदने से आपको नुकसान हैं. मतलब आपको समझ है कि क्या गलत है और क्या सही है अगर आपके पास समझ ना होती तो जिम्मेदार भगवान होता. अगर गाड़ी में ब्रेक ना होता तो जिम्मेदार मालिक होता कि गाड़ी ठीक नहीं करवा के दी इसमे बेचारा ड्राइवर क्या कर सकता हैं. लेकिन उसमे ब्रेक था समय पर ड्राइवर ने नहीं लगाया तो फिर इसमे ड्राइवर की गलती है मालिक की नहीं उसी प्रकार ये संसार भगवान की मर्जी से चलता है लेकिन आप लोग जो अपना निर्णय लेते है सही और गलत,पाप और पुण्य का तो वो निर्णय आपका हैं. जब आपने चोरी की तो क्या आपको पता नहीं था कि ये बुरा कर्म है? हर चोर को पता होता है कि ये गलत हैं और उसका जिम्मेदार चोर है ना कि भगवान! हाँ अगर चोर पागल होता और चोरी करता तो हम भगवान को दोष दे सकते थे.
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Aniruddhacharya Ji Maharaj Ki Bhagwat Katha:अगर तुम्हें सही गलत की सूझ-बूझ है,तुम्हें पता है कि पेड़ काटना गलत है फिर भी पेड़ काटे जा रहे हो,जंगल नष्ट किए जा रहे हो तो क्या इसका जिम्मेदार भगवान होगा? नहीं;आपको समझ है कि ये गलत है तो उसके जिम्मेदार आप हैं भगवान नहीं ऐसे में भगवान को दोष देना बंद करें. भगवान किसी को दुख नहीं देते.आपको जो भी दुख मिलता है उसके जिम्मेदार भगवान नहीं है ये आपके बुरे कर्मों का फल है.सुख और दुख के जिम्मेदार परमात्मा नहीं है.
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अब एक और प्रश्न ये उठता है कि अगर हमें कर्मो का ही फल भोगना है तो भगवान की भक्ति क्यों करें? ( Bhagwan Ki Bhakti Kyon Kare )
जब कर्मों का ही फल भोगना है तो राम नाम का जप क्यों करें,भगवान की भक्ति क्यों करें ?कर्म अच्छा करेंगे तो अच्छा फल मिलेगा सुख के रूप में और बुरे कर्म करेंगे तो अपने आप बुरा फल मिलेगा. तो इसका जवाब भी जान लीजिये- ये तो सच है कि हमारे कर्मों का फल हमें मिलता है लेकिन जब आप भगवान से जुडते है,कथाएँ सुनते है तो आपके जीवन की तमाम परेशानियाँ दूर हो जाती हैं और संकट समाप्त हो जाते हैं.भगवान से जुडने का अर्थ हैं अपनी सद्गति करना. अगर संसार रूपी उलझन से सुलझना चाहते हो तो भगवान से नाता जोड़ लो.यात्रा तो एक पाँव से भी समाप्त हो सकती है लेकिन अगर दूसरा पाँव भी साथ दे तो क्या बात है.उसी प्रकार अच्छे कर्मों के साथ अगर आप भगवान से नाता जोड़ते हो,भगवान की कथाएँ सुनते हो तो उसमे आपका ही फायदा होना हैं और आपको ही सद्गति मिलनी हैं. Aniruddhacharya Ji Maharaj Katha Live. जीवन में दुख क्यों आते है इन सब प्रश्नों के उत्तर आज आपको मिल गए होंगे.