Mahashivratri Poojan Vidhi |
पंडित प्रदीप मिश्रा के उपाय- हिंदू धर्म में हर माह मासिक शिवरात्रि (Shivratri) मनाई जाती है, लेकिन फाल्गुन माह में आने वाली महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का खास महत्व होता है. माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था. शास्त्रों की माने तों महाशिवरात्रि की रात ही भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे. इसके बाद से हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है. इस लेख को पढ़ने के बाद आपको शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के बीच में अंतर समझ में आगया होगा. आइए जानते है पंडित प्रदीप मिश्रा शिवरात्रि के उपाय के बारे में. इस पोस्ट के अंत एक व्हाट्सप्प ग्रुप का लिंक होगा. भगवान शिव के भक्त हो तो आपको उस ग्रुप में जुड़ना चाहिए. ग्रुप में आपको उपायों की PDF मिलती रहेगी.
Pandit Pradeep Mishra Ke Mahashivratri Ke Upay: भगवान शंकर महाशिवरात्रि के दिन हमारी मनोकामना जल्दी पूर्ण करें या महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव हमारे मन की सुने और मन की पूर्ण करें इसके लिए आपको ये महाशिवरात्रि के उपाय को करना चाहिए.
महाशिवरात्रि के दिन पूजा करने के दौरान दिशा का अहम महत्व होता है. यह एक बड़ा विषय है कि महाशिवरात्रि के दिन किस दिशा में बैठकर शिव जी पूजा करनी चाहिए. आज इन सभी प्रश्नों के जवाब आपको मिल जाएंगे कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किस दिशा में बैठकर शिव पूजन करना चाहिए या शिव पूजन की सही विधि क्या है.
शिव पूजन के लिए सही दिशा: पंडित प्रदीप मिश्रा के अनुसार भगवान शिव को न तो पूर्व से मतलब है और ना ही पश्चिम से मतलब है. भगवान शिव के पूजन के समय आपको दक्षिण में बैठना चाहिए और उत्तर की ओर मुख करना चाहिए. अगर आप उत्तर की और मुख करके जो आप भगवान को चढ़ाएँगे तो भगवान शिव शंकर उसे स्वीकार करेंगे और आपकी मनवांछित कामना को पूर्ण करेंगे. जहा भगवान शिव के शिवलिंग में जहां जलाधारी होती है वो उत्तर का भाग होती है तो उस समय आपको दक्षिण में बैठना है. शिव पूजन के समय सब लोग यही गलती करते है वो जलधारी के दाएँ और बैठते है. इस बार महाशिवरात्रि को आप यह गलती न करें. पूजन के दिन आप सब अच्छा करते हो लेकिन ये एक गलती आप कर देते हो जिस वजह से आपको बुरा फल भुगतना पड़ता है.
Pandit Pradeep Mishra Mahashivratri Pujan Vidhi: महाशिवरात्रि 1 मार्च 2022 को है. इस दिन पांच राशि वाले बेहद किस्मत वाले रहेंगे. इन पर भगवान शिवजी की विशेष कृपा रहेगी. भगवान भोलेनाथ के आशीर्वाद से सभी मनोकामना पूरी होंगी. महाशिवरात्रि पर यूं तो दिन भर भगवान भोले की पूजा-अचर्ना की जा सकती है, लेकिन रात्रि में पूजा का विशेष महत्व है. शिवरात्रि पूजा रात में एक या चार बार की जा सकती है. पूरी रात की अवधि को चार प्रहरों में बांटा गया है। इस दिन ध्यान करने की सलाह दी जाती है और पूरे दिन में जितनी बार संभव हो ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप करें.
Mahashivratri 2022 Date- महाशिवरात्रि 2022
इस बार महाशिवरात्रि 1 मार्च, दिन मंगलवार समय प्रातः 3:16 मिनट से शुरू होगी। इसका समापन 2 मार्च को दिन बुधवार समय प्रातः 10 बजे चतुर्दशी में होगा। इसमे 4 पहर की पूजा होगी।
► पहले प्रहर की पूजा शाम 6:21 मिनट से रात्रि 9:27 मिनट
► दूसरे प्रहर की पूजा रात 9:27 मिनट से 12: 33 मिनट के बीच
► तीसरे प्रहर की पूजा रात 12:33 मिनट से सुबह 3:39 बजे के बीच
► चौथे प्रहर की पूजा 3:39 मिनट से 6:45 मिनट के बीच की जाएगी
महाशिवरात्रि पूजा विधि- पंडित प्रदीप मिश्रा
सर्वप्रथम नित्यकर्मों से निवृत होकर किसी भी शिवालय में जाकर आप पूजा अर्चना कर सकते है. शिव जी को किसी भी तांबे के पात्र में जल भर कर उसमे थोड़ी शक्कर, गुलाब के फूल की पत्तियां डाल कर स्नान कराएं. उसके बाद घी, दूध, शहद, गंगाजल, शक्कर डाल कर उनका पंचामृत अभिषेक कराएं. उसके उपरांत भगवान शिव को रोली, मौली, अक्षत, पान, सुपारी ,लौंग, इलायची, चंदन, कमलगटटा, धतूरा, बेलपत्र, आदि अर्पित करें. शिवपुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है.
महामृत्युंजय मंत्र इस प्रकार हैं-
ॐ हौं जूं सः महा मृतुन्जय मंत्र…ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टि-वर्धनम उर्वारुकमिव बन्धनं मृत्योर्मुक्षीय मामृतात
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