Jaya Kishori:हिन्दू धर्म में दान का विशेष महत्व माना गया है. शास्त्रों में भी विभिन्न जगहों पर दान की महिमा का वर्णन किया जाता रहा है. लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि हम ही बार बार दान क्यों दें?
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किस तरह के दान से पुण्य मिलता है?
अन्नदान, वस्त्रदान, विद्यादान, अभयदान और धनदान, ये सारे दान इंसान को पुण्य का भागी बनाते हैं. किसी भी वस्तु का दान करने से मन को सांसारिक आसक्ति यानी मोह से छुटकारा मिलता है. हर तरह के लगाव और भाव को छोड़ने की शुरुआत दान और क्षमा से ही होती है. श्रीरामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने कहा है कि परहित के समान कोई धर्म नहीं है और दूसरों को कष्ट देने के समान कोई पाप नहीं है.
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दान का क्या महत्व है?
दान एक ऐसा कार्य है, जिसके जरिए हम न केवल धर्म का ठीक-ठीक पालन कर पाते हैं बल्कि अपने जीवन की तमाम समस्याओं से भी निकल सकते हैं. आयु, रक्षा और सेहत के लिए तो दान को अचूक माना जाता है. जीवन की तमाम समस्याओं से निजात पाने के लिए भी दान का विशेष महत्व है. दान करने से ग्रहों की पीड़ा से भी मुक्ति पाना आसान हो जाता है.
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ज्योतिष के जानकारों की मानें तो अलग -अलग वस्तुओं के दान से अलग-अलग समस्याएं दूर होती हैं, लेकिन बिना सोचे-समझे गलत दान से आपका नुकसान भी हो सकता है. कई बार गलत दान से अच्छे ग्रह भी बुरे परिणाम दे सकते हैं. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो वेदों में भी लिखा है कि सैकड़ों हाथों से कमाना चाहिए और हजार हाथों वाला होकर दान करना चाहिए.
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