कथा का श्रवण ही नही मनन कर जीवन मे धारण करे




चिम्बड़ावास में दिव्य जाम्भाणी कथा में दूसरे दिन उमड़ी भक्तो की भीड़
धोरीमना मीडिया नेटवर्क।।
निकटवर्ती श्री गुरू जम्भेश्वर मंदिर चीम्बड़ावास में जम्भेश्वर सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित दिव्य जांभाणी कथा के दूसरे दिन शुक्रवार को कथा पांडाल में श्रद्धालु भक्तों की भारी भीड़ पहुँची कथावाचक स्वामी सच्चिदानंद  आचार्य ने कहा कि हमारे सिर पर गुरू जम्भेश्वर की शब्दवाणी छतरी के रूप में धारण कर रखी है अगर हम शब्दरुपी छतरी को धारण कर के रखेंगे तो हमारे पास किसी प्रकार भूतप्रेत और विपले की छाया नहीं पड़ सकती और न ही किसी प्रकार का कष्ट और तकलीफ होगी हमें आन देवता , भोमिया भूत प्रेतों की पूजा न कर एक विष्णु के नाम का जप करना चाहिए और गुरु जम्भेश्वर भगवान की प्रकाश स्वरूप जोत में विश्वास व श्रृद्धा रखनी चाहिए स्वामीजी ने विशेष रूप से कहा है कि हमें चमत्कार को नमस्कार न कर नमस्कार के चमत्कार को समझना चाहिए। बच्चों को संस्कारित करने व देश के एक जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए इनमें बड़ों के प्रति आदर रखने की भावनाओं को जागृत करना होगा। इस दौरान मालावाड़ा महंत सुखदेव मुनि ने कथा का तात्पर्य समझाते हुए कहा कि कथा का सिर्फ श्रवण ही नहीं करना है बल्कि इस पर मनन करते हुए इसे जीवन में धारण करना चाहिए मोहनलाल ईशरवाल ने बताया कि कथा के दौरान पूर्व संरपंच खियाराम राहङ, अमराराम ढाका, रुगनाथ खोड, रमेश खीचङ, भजनलाल राहङ, सुनिल खोखर, किशन जांगू, जगराम सियाक, किशनाराम खिचड़ सहित कई भक्तजन मौजूद रहे।

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