आप प्री-पेड मोबाइल नंबर यूज करते हैं? तो फिर ये खबर आपको जरूर पढ़नी चाहिए

धोरीमना मीडिया.. भागीरथ ढाका
नई दिल्ली: देश में अब जल्द ही प्रीपेड मोबाइल नंबरों का वेरिफिकेशन शुरू किया जा रहा है। ऐसे में यूजर के सही पाए जाने पर ही उसका नंबर जारी रखा जाएगा। देशभर के करीब 95 करोड़ प्री-पेड मोबाइल यूजर्स को नए सिरे से अपनी पहचान साबित करनी पड़ेगी। फर्जी आईडी पर चल रहे 5 करोड़ से ज्यादा प्री-पेड नंबरों की वेरिफिकेशन के लिए यह कवायद शुरू होगी। इस दौरान ज्यादा से ज्यादा मोबाइल नंबरों को आधार नंबर से जोड़ा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र को यह आदेश दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार से वेरिफिकेशन एक साल में पूरी करने को कहा है। शुरुआती योजना के अनुसार मोबाइल रिचार्ज करवाने वालों के जरिए वेरिफिकेशन फार्म भरवाकर पहचान पत्र लिया जाएगा। पहचान के लिए प्राथमिकता आधार कार्ड ही रहेगा। वेरिफिकेशन फार्म नहीं भरने पर नंबर बंद हो जाएगा। इस मामले में एनजीओ लोकनीति फाउंडेशन ने याचिका दाखिल कर रखी है। सुनवाई के दौरान पीठ ने सुझाव दिया कि वर्तमान प्रीपेड उपभोक्ताओं को रिचार्ज के वक्त ब्यौरा देने के लिए कहा जा सकता है जैसा कि नया सिम कार्ड जारी करने के समय होता है। प्रीपेड मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या कुल मोबाइल उपभोक्ताओं का 90 फीसदी है। सरकार की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह कठिन है क्योंकि देश भर में छोटी दुकानों से भी प्रीपेड मोबाइल फोन रिचार्ज होते हैं। इससे पहले अदालत ने केंद्र और दूरसंचार विभाग से कहा कि देश में वर्तमान और आगामी मोबाइल फोन उपभोक्ताओं के सत्यापन के लिए उठाए जा सकने वाले कदमों से अवगत कराएं। फरवरी, 2016 तक देश में कुल 105 करोड़ मोबाइल फोन यूजर्स थे। इनमें फीसदी से ज्यादा प्रीपेड हैं। जानकारी के मुताबिक करीब 5 करोड़ प्री-पेड नंबर फर्जी आईडी पर हैं। बैंकिंग सहित कई कामों में मोबाइल नंबर का इस्तेमाल होने लगा है। फर्जी आईडी पर कोई भी अपराध करके बच सकता है। इन्हें छांटने के लिए अब सबकी नए सिरे से वेरिफिकेशन की जाएगी। केंद्र के अनुसार पोस्ट-पेड यूजर्स की पहचान में कोई समस्या नहीं है। क्योंकि इनके पते पर पहले से ही बिल पहुंच रहा है। ऐसे में पहले प्री-पेड यूजर्स से ही पहचान मांगी जाएगी।

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